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Treat seeds with a little lime, a handful of soil, cow urine of a local cow – News18 हिंदी

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सिमरनजीत सिंह/शाहजहांपुर: फसलों की बुवाई के दौरान अगर किसान बीज को शोध कर खेत में बुवाई करें तो फसल में कीट नहीं लगते और बेहतर उत्पादन मिलता है. आमतौर पर किसान रासायनिक दवाओं से ही बीज का शोध करते हैं. ऐसे में अब वैज्ञानिक शोध के बाद जैविक तरीके से बीज का शोधन करने के लिए बीजामृत नाम का उत्पाद खुद तैयार कर सकते हैं. वैज्ञानिकों का कहना है कि इससे किसानों को बेहतर जमाव मिलेगा और उत्पादन भी अच्छा होगा.

कृषि विज्ञान केंद्र नियामतपुर के वैज्ञानिक डॉ एनपी गुप्ता ने बताया कि बीजामृत एक जैविक उत्पाद है, जिसका इस्तेमाल करने से किसान रासायनिक कीटनाशकों से होने वाले दुष्प्रभाव से बच सकेंगे. साथ ही बीजों के अंकुरण की क्षमता भी इससे बढ़ती है. बीजों में एक समान अंकुरण होता है. शुरुआती दिनों में मौसमी कीटों और रोगों से भी फसल को बचाता है. इसके साथ ही पौधे स्वस्थ रहते हैं. बीजामृत के इस्तेमाल से मिट्टी जनित रोगों से भी पौधों का बचाव होता है. जड़ें तेजी के साथ विकास करती हैं. यह फंगस और वायरस से भी पौधे को बचाता है. जिससे उत्पादन ज्यादा होता है.

कैसे तैयार करें बीजामृत

100 किलोग्राम बीज का शोधन करने के लिए अगर आप बीजामृत तैयार कर रहे हैं, तो आपको 20 लीटर पानी, 5 लीटर देशी गाय का मूत्र, 5 किलो देसी गाय का गोबर, 50 ग्राम चूना और एक मुट्ठी मिट्टी को एक ड्रम में डालकर लकड़ी की छड़ी से अच्छी तरह से मिला दें. इस घोल को 24 घंटे के लिए रखा रहने दें. ध्यान रखें अगर गोमूत्र ज्यादा पुराना होगा तो उतना ही ज्यादा लाभकारी होगा.

बीजामृत का कैसे करें इस्तेमाल

डॉ. एनपी गुप्ता ने बताया कि बीज को अच्छी तरह से जमीन पर फैला लें. उसके बाद स्प्रे पंप के द्वारा पूरे बीज पर बीजामृत को छिड़क दें. उसके बाद बीज को हाथ से अच्छे तरीके से मिला दें. ऐसा करने के बाद 6 से 12 घंटों के लिए उपचारित बीज को छाया में सुखा लें. उसके बाद इसकी खेत में बुवाई कर सकते हैं. बुवाई करने के बाद खेत को खुला ना छोड़ें तुरंत खेत में पाटा लगा दें.

इन फसलों में करें इस्तेमाल

डॉ. एनपी गुप्ता ने बताया कि बीजामृत का इस्तेमाल धान, गेहूं, मक्का, ज्वार, बाजारा और दलहनी फसलों में कर सकते हैं. जिसके किसानों को बेहतर परिणाम देखने को मिलेंगे.

Tags: Hindi news, Local18

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