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वंदेभारत ट्रेन के यात्री ने गिनाई ‘कमियां’, मगर बताया मजेदार था यह सफर

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वंदेभारत एक अद्भूत ट्रेन है और इसमें सफर का अनुभव भी शानदार है. पिछले दिनों दिल्ली-भोपाल के बीच वंदेभारत ट्रेन को पीएम नरेंद्र मोदी ने हरी झंडी दिखाकर रवाना किया था. पूरी तरह भारत में निर्मित यह ट्रेन कई मामलों में बुलेट ट्रेन को टक्कर देती है. ट्रायल के दौरान यह अधिकतम 180 किमी प्रति घंटे की स्पीड को छू चुकी है. हालांकि नॉर्मल सफर के दौरान इसकी स्पीड इतनी नहीं होती. यह अधिकतम 120 से 140 किमी की रफ्तार से दौड़ती है. अलग-अलग रूट्स पर इस ट्रेन की औसत स्पीड 90 से 100 किमी प्रति घंटे की है. इस ट्रेन के रेक को आने वाले समय में राजधानी और शताब्दी ट्रेनों में इस्तेमाल किया जाएगा. इसके स्लीपर वर्जन पर भी काम चल रहा है. इस ट्रेन में सफर का अपना एक अलग ही एक्साइटमेंट है. पिछले दिनों एक यात्री ने इस ट्रेन में सफर का अपना पूरा अनुभव शेयर किया है.

4.10 घंटे में 360 किमी का सफर
एक यात्री ने चेन्नई से बेंगलुरू के बीच चलने वाली वंदे भारत ट्रेन में सफर का अनुभव शेयर किया है. इस यात्री का नाम सुब्रह्मण्यम दुरैस्वामी है. सुब्रह्मण्यम चेन्नई में रहते हैं और उन्होंने क्वेरा वेबसाइट पर अपना पूरा अनुभव शेयर किया है. उन्होंने बताया है कि यह ट्रेन 360 किमी की दूरी 4 घंटे और 10 मिनट में पूरा करती है. इस तरह इसकी औसत स्पीड करीब 90 किमी है वहीं सफर के दौरान इस ट्रेन ने 120 प्रति घंटे की अधिकतम स्पीड हासिल की.

सुब्रह्मण्यम आगे बताते हैं कि वंदे भारत ट्रेन को केवल स्पीड के पैमाने पर नहीं परखा जा सकता. यह ट्रेन नए भारत की भावना का प्रतीक है. यह हमारी तकनीकी प्रगति का गवाह है. सुब्रह्मण्यम बताते हैं कि उन्होंने इस सफर के दौरान एग्जीक्यूटिव क्लास में टिकट बुक करवाया था और इस क्लास में आरामदायक सफर का आनंद ही अलग था. सीट की चौड़ाई अच्छी होने के साथ पैर पसारने के लिए लेग रूम भी काफी है. सुब्रह्मण्यम बताते हैं कि सफर शुरू करने के कुछ ही समय बाद उनको चाय और दूध के साथ कॉर्नफ्लेक्श परोसा गया. उसकी क्वालिटी अच्छी थी. ब्रेकफास्ट में भी स्टैंडर्ड दक्षिण भारतीय चीजें थीं.

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वंदेभारत की खासियतें
सुब्रह्मण्यम लिखते हैं कि वह अपने काम की वजह से काफी सफर करते हैं. उन्होंने बताया है कि किसी भी भारतीय ट्रेन के 40 सेकेंड में 30 से 100 की स्पीड पकड़ते नहीं देखा है. उन्होंने स्टॉप वॉच के जरिये यह खुद अनुभव किया. उनका कहना है कि शताब्दी एक्सप्रेस इस स्पीड को हासिल करने में 90 मिनट का समय लेती है. उन्होंने आगे लिखा है कि यह अद्भूत ट्रेन है. इसें जीरो जर्क का अनुभव हुआ. ऐसा अधिकतम स्पीड पर ट्रेन के चलने के दौरान भी था. इस ट्रेन का शॉक ऑब्जॉर्प्शन शानदार है. इसके अलावा इमें कन्नड़, तमिल के साथ हिंदी और अंग्रेजी में एनाउंसमेंट हो रहे थे. इस तरह भाषा के आधार भी कोई भेदभाव नहीं देखा गया. ट्रेन में इकनॉमिक क्लास में एक रो में पांच और एग्जीक्यूटिव क्लास में चार सीटें हैं. इस ट्रेन की टाइमिंग भी शानदार है. चेन्नई से बंगलुरू के बीच सफर के दौरान बीच में थोड़ा लेट होने के बावजूद ट्रेन ठीक सुबह 9:55 बजे बेंगलुरू स्टेशन पर खड़ी थी.

इन चीजों में सुधार की है जरूरत
सुब्रह्मण्यम ने इस ट्रेन में सफर का एक खूबसूरत अनुभव शेयर किया है. इसी तहत उन्होंने इसमें सुधार के लिए कुछ सुझाव भी दिए हैं. सुब्रह्मण्यम बताते हैं कि चेन्नई से बेंगलुरू के बीच सुबह में एक घंटे के अंदर चार ट्रेनें चलती हैं. इनमें सीट के हिसाब से पैसेंजर्स नहीं होते. इतनी ट्रेनें चलाना पैसे की बर्बादी है. इसके बजाय दो ट्रेनें होनी चाहिए और टिकट का रेट कम किया जाना चाहिए. दूसरी बात कि ट्रेन में फ्री वाईफाई होने की बात कही गई थी, लेकिन यह नहीं चलता है. इससे कामकाजी लोगों को परेशानी होती है.

मैसूर तक चलाने की क्या जरूरत
सुब्रह्मण्यम बताते हैं कि वंदेभारत ट्रेन बेंगलुरू में करीब-करीब खाली हो जाती है. ऐसे में मैसूर तक इसे चलाने का कोई मतलब नहीं है. इसके बजाय इस ट्रेन का बेंगलुरू पहुंचने से पहले एक स्टॉप आरके पुरम में होना चाहिए.

Tags: Vande bharat train

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