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Astha : आखिर क्यों है ‘बेल बाबा’ मंदिर पर लोगों का अटूट विश्वास, आप भी जानिए रोचक इतिहास

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पवन सिंह कुंवर/हल्द्वानी.आज हम आपके लिए उत्तराखंड के हल्द्वानी में स्थित 150 साल पुराने बेल बाबा मंदिर की कहानी लेकर आए हैं. बेल बाबा की महिमा अपरंपार है. हल्द्वानी मुख्य शहर से करीब 7 किलोमीटर की दूरी पर रामपुर रोड पर 150 साल पुराना बेल बाबा का मंदिर स्थित है. मान्यता है कि मंदिर में आने वाले सभी भक्तों की मनोकामना पूरी होती है. यही वजह है कि यहां भक्तों का तांता लगा रहता है. बाबा के दर्शन करने रोज यहां सैकड़ों श्रद्धालु पहुंचते हैं.

बेल बाबा मंदिर की मान्यता है कि एक बार जो बाबा के दर्शन कर लेता है, वह फिर बाबा के पास जरूर पहुंचता है. इस मंदिर में बाबा के दर्शन के बाद मनोकामना मांगने वाले भक्तों की मुराद जरूर पूरी हुई है. 1966 में बेल बाबा मंदिर को भव्य रूप दिया गया था. बाबा के मंदिर में ज्यादातर लोग खुशहाली और अच्छी खेती की कामना लेकर आया करते हैं.

क्या है बेल बाबा की कहानी
बेल बाबा मंदिर की स्थापना बेल बाबा नाम के योगी ने की थी. तब से इस मंदिर का नाम बेल बाबा मंदिर पड़ गया. माना जाता है कि 150 वर्ष पूर्व शहर में सूखा पड़ गया था. शहर के लोग बाबा के पास गए व बारिश न होने का कारण पूछने लगे. बाबा ने उनसे आश्वासन दिया कि उनके लौटने के बाद बारिश हो जाएगी. अगले ही दिन बेल बाबा वहां से गायब हो गए. जिसके बाद क्षेत्र में जमकर बारिश हुई और तभी से मंदिर में लोग अपनी मनोकामना पूरी होने के बाद भंडारा कराने लगे. मंदिर परिसर में बेल बाबा की एक प्रतिमा स्थापित की गई है, जहां श्रद्धालु बाबा से सुख-शांति और खुशहाली की कामना करते हैं.

शिवरात्रि पर मंदिर में होती है विशेष पूजा
मंदिर के पुजारी पहलाद सिंह ने बताया कि बेल बाबा के इस मंदिर में वैसे तो प्रति दिन सैकड़ों भक्त दर्शन करने आते हैं, लेकिन सावन महीने और शिवरात्रि पर मंदिर में हजारों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं. तब मंदिर में पूजा की विशेष व्यवस्था की जाती है. बाबा का मुख्य प्रसाद बेल पत्र और दूध है. यहां मंदिर पर दूध भी चढ़ाने की एक प्रथा है. हजारों भक्त इस मंदिर पर दूध चढ़ाने आते हैं. साथ ही बेल पत्र व जलाभिषेक बाबा को अति प्रिय है.

Tags: Dharma Aastha

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