AMAR UJALA

क्या बेल्ट एंड रोड के चक्कर में खुद के ही जाल में फंस गया है चीन?

[ad_1]

हाइलाइट्स

चीन ने दुनिया के 22 देशों को बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव के तहत भारी कर्ज दिया है.
इस कर्ज की मात्रा आज 240 अरब डॉलर तक पहुंच गई है.
दुनिया के साथ चीन की अर्थव्यवस्था में भी बढ़ती अनिश्चितता इस संकट को और बढ़ा सकती है.

जब भी दुनिया में किसी देश को कर्ज देने की बात आती है तो वैश्विक स्तर पर आईएमएफ या वर्ल्ड बैंक या फिर एशियाई विकास बैंक जैसी आर्थिक संस्थाओं का नाम सबसे पहले आता है. लेकिन कई बड़े देश भी दूसरे देशों को कर्ज देते हैं. इनमें सबसे ज्यादा चर्चा पिछले एक दो दशकों से चीन की हो रही है. उसने अपने बेल्ट एंड रोड परियोजना में कई देशों को शामिल किया और अपने से कमजोर देशों को उसके लिए कठोर शर्तें भी रख दीं. अब उन्हीं देशों के लिए वह बेलआउट पैकेज भी जारी कर रहा है तो किसी देश को कर्जा लौटाने की मियाद भी बढ़ा रहा है. लेकिन पिछले कुछ समय से एक सवाल बार बार पैदा हो रहा है कि कहीं चीन अपने ही बनाए जाल में तो नहीं फंस गया है.

क्या कर्जजाल मे फांसने का उपकरण?
चीन की बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव पयोजना कई तरह के विवादों में घिरी हुई. इस पर घोटाले, भ्रष्टाचार के आरोप भी लगे हैं कई विशेषज्ञ मानते हैं कि यह केवल चीन का कमजोर देशों को अपने कर्जजाल मे फांसने का उपकरण भर है जिसमें कर्जों की शर्तें पूरी कर पाना लगभग असंभव है. एक नए अध्ययन में भी इस बात की पुष्टि की गई है कि इस कार्यक्रम में शामिल देशों को कर्ज बहुत ज्यादा हो गया है.

कितना बढ़ गया है कर्ज
अध्ययन में खुलासा हुआ है कि चीन के खैराती उधार के फंसे देशों का कर्ज 240 अरब डॉलर तक पहुंच गया है. यह कर्ज 22 देशों को दिया गया है जिसमें श्रीलंका, पाकिस्तान, तुर्की, अर्जेंटीना, बेलारूस, एक्वाडोर, मिस्र, लाओस, मंगोलिया, सुरीनाम, यूक्रेन और वेनेजुएला जैसे देशों कोअपने बुनियादी ढांचे के विकास के लिए कर्ज दिया गया था.

कितना दिया गया था कर्ज
एजडेटा, वर्ल्ड बैंक, हार्वर्ड केनेडी स्कूल और केइल इंस्टीट्यूट ऑफ वर्ल्ड इकोनोमी के शोधकर्ताओं के इस अध्ययन में यह रेखांकित किया गया है कि बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव कार्यक्रम एक बड़ी मुसीबत बन गया है. रिपोर्ट के मुताबिक चीन ने 2019 से लेकर 2021 के बीच विकासशील देशों को 104 अरब डॉलर का कर्ज दिया था.

संकट से उबारने के लिए
वहीं 2000 से 2021 तक दिया गया कर्ज इन देशों के पिछले दो दशक का संकट से उबारने के लिए दिया गया कर्ज के बराबर था. पिछले दो दशकों में इन 22 देशों के लिए चीन ने 128 अरब संकट से उबरने के लिए कार्यक्रम चलाए थे जिनकी कुल कीमत अब 240 अरब डॉलर है. चीन ने तुर्की से लेकर श्रीलंका तक इन देशों को आपातकालीन कर्ज दिए जिनका या तो भूरणनीतिक महत्व था या फिर उनके पास बहुत सारे प्राकृतिक संसाधन थे.

महंगा है चीन का कर्ज
अध्ययन में रेखांकित किया गया है कि चीन के कर्ज और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष द्वारा दिए कर्ज में कितना अंतर है. इसमें सबसे खास बात यही है कि चीनी कर्ज बहुत महंगा है जो आईएमएफ के 2 फीसद के ब्याज की तुलना में 5 फीसद के ब्याज पर दिया जाता है. कर्ज देने के मामले में चीन एक तरह से आखिरी विकल्प के तौर पर बहुत प्रभावशाली तरीके से उभरा है.

Tags: China, Economy, IMF, Pakistan, Research, Sri lanka, World, World bank

[ad_2]

Source link

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Check Also
Close
Back to top button