AMAR UJALA

Viral Story:प्रेग्‍नेंट महिला को एयरपोर्ट पर नहीं मिली दवा, एयरलाइन कर्मी बना रक्षक


आप बेहद कठिन हालात में फंसे हों, राहत की कोई उम्‍मीद नजर नहीं आ रही हो. ऐसे में एक अजनबी व्‍यक्ति आपकी मदद के लिए आ जाए तो सोचिए कैसा महसूस करेंगे. सुकून तो म‍िलेगा ही आंखें भी भर आएंगी. कुछ ऐसा ही हुआ पार्थ भानुशाली (Parth Bhanushali)के साथ. उनकी पत्‍नी गर्भवती थीं. एयरपोर्ट पर अचानक उनकी तबीयत खराब हो गई. पार्थ को कुछ समझ नहीं आ रहा था. दवा के लिए वह चारों ओर हाथ पांव मार रहे थे. तभी इंडिगो के एक अधिकारी उनकी मदद के लिए आ गए. (IndiGo Official Helps Six-Month Pregnant Woman).ऑफिसियल ह्यूमन्स ऑफ बॉम्बे द्वारा इंस्‍टाग्राम पर शेयर यह पोस्‍ट खूब वायरल हो रही है और लोग एयरपोर्ट अफसर की जमकर तारीफ कर रहे हैं.

घबरा गए थे पार्थ
पार्थ ने ऑफिसियल ह्यूमन्स ( Humans of Bombay) से पूरी कहानी साझा की. बताया, मेरी छह महीने की गर्भवती पत्नी और मैं भुवनेश्वर हवाई अड्डे पर थे. तभी पता चला क‍ि खराब मौसम की वजह से हमारी उड़ान में 3 घंटे की देरी हो रही है। हम शूटिंग के बाद वापस मुंबई के लिए उड़ान भरने वाले थे बेहद थके हुए और निराश लग रहे थे . स्थिति तब और खराब हो गई जब मेरी पत्‍नी ने बताया क‍ि उनकी मितली की दवा खत्म हो गई है. सिर्फ यही दवा उसे उडान के दौरान होने वाली दिक्‍कतों से बचा सकती थी. पर एक बड़ी समस्‍या यह थी क‍ि एयरपोर्ट पर कोई दवा की दुकान नहीं थी मैं घबरा गया मुझे समझ नहीं आ रहा था क‍ि क्‍या करना है

एयरपोर्ट कर्मी मदद को आगे आए
भानुशाली ने बताया क‍ि तभी एक उपाय सूझा, मैंने उसे बैठने के लिए एक जगह ढूंढी, फिर मैं सुरक्षा द्वार की ओर भागा। वहां कर्मियों से बाहर जाने देने की व‍िनती की, मान मनुहार के बाद उन्‍होंने मुझे चेक-इन क्षेत्र में वापस जाने का रास्ता दिया. वहां 3-4 अटेंडेंट थे, और मैंने अपनी समस्या बताई. तभी अटेंडेंट में से एक अभिषेक ने कदम बढ़ाया और वह मुझे एयरपोर्ट पर ड्यूटी पर मौजूद डॉक्टर के पास ले गए. दुर्भाग्य से वहां मदद के लिए कुछ नहीं था। हवाई अड्डे के निकटतम फार्मेसी तीन किलोमीटर किमी दूर थी.

दवा लेने खुद न‍िकल गए एयरपोर्ट से बाहर
अभिषेक ने सुझाव दिया कि मैं अपने किसी मित्र से दवा लाने के लिए कहूं। लेकिन जब मैंने उन्‍हें बताया क‍ि मेरा शहर में जानने वाला कोई नहीं है तो वह भी चिंता में पड़ गए. हालांक‍ि, कुछ सेकेंड बाद बोले, मैं जाकर दवाई लेकर आता हूं. उसके बाद वे चले गए लेक‍िन एयरलाइन की नीति के कारण हम नंबरों का आदान-प्रदान नहीं कर सके, इसलिए हमारे पास एक-दूसरे से संपर्क करने का कोई तरीका नहीं था. मुझे डर लग रहा था कि वह दवा की पहचान करने में असमर्थ होने के कारण खाली हाथ न लौट आएं। चिंता में डूबे हम लोग एयरपोर्ट पर ही इंतजार कर रहे थे. मैं अपनी पत्नी को समझाने की कोशिश कर रहा था. लेकिन 25 मिनट बाद जब वह दवाई लेकर आए तो मेरी आंखें भर आईं . वह 5 अलग-अलग फार्मेसियों में गए थे, और जब वही गोली नहीं मिली, तो उसी फॉर्मूले के साथ दूसरे ब्रांड की दवा ले आए.

इसलिए कर रहा क्‍योंकि मुझे परवाह है
पार्थ ने बताया क‍ि मैनें पैसे देने की कोशिश की पर उन्‍होंने नहीं लिया. मैंने पूछा, क्या एयरलाइन आपको प्रतिपूर्ति करेगी? और उन्होंने जवाब दिया, नहीं सर, मैं यह इसलिए कर रहा हूं क्योंकि मुझे परवाह है. उन्होंने मुझे संतुष्टि का यह अहसास दिया क‍ि निश्चित रूप से दुनिया में अच्छे लोग हैं। और 15 मिनट बाद, मेरी पत्नी बेहतर महसूस करने लगी—मुझे राहत मिली।

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